सफर में हैं सब सभी का रिटर्न टिकट भी है जेब में तब भी आश्चर्य यही कि जेब भी अदृश्य और टिकट भी तो फिर सवाल यही है कि दृश्य में कौन ? यात्रियों की भीड़ में हर यात्री है मौन सफर में हैं सब।
हिंदी समय में राजकुमार कुंभज की रचनाएँ